विभिन्न सरकारी विभागों में कार्यरत ठेका एवं आउटसोर्स कर्मचारियों को मानदेय के भुगतान और ड्यूटी कराने में अब ठेकेदार और एजेंसियों की मनमानी नहीं चलेगी। चुनावी साल में सरकार ने ठेका एवं आउटसोर्स पर कार्यरत कर्मचारियों को श्रम कानूनों के प्रावधानों का लाभ देने का फैसला किया है। श्रम विभाग ने इस सिलसिले में सभी विभागों को आदेश जारी का इसकी सख्ती से पालन कराने को कहा है। इसका लाभ सरकारी विभागों, उपक्रमों, निगम एवं मंडलों में कार्यरत 3 लाख से ज्यादा ठेका एवं आउटसोर्स कर्मचारियों को मिलेगा।निर्धारित समय पर मानदेय का भुगतान किया जाएगा। बोनस राशि, ईपीएफ, ईएसआईसी के अंशदान का भुगतान भी समय पर किया जाएगा।
ये थी आउटसोर्स कर्मचारियों के शोषण शिकायतें:
अब ठेकेदार न तो उनसे मनमर्जी से निर्धारित ड्यूटी ऑवर से ज्यादा काम ले पाएंगे और न ही उन्हें मनमाना वेतन दे पाएंगे। अकुशल कर्मचारियों को न्यूनतम 9650 रुपए मासिक मानदेय और उच्च कुशल को न्यूनतम 13,185 रुपए मासिक मानदेय देना अनिवार्य होगा। मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि विभिन विभागों, निगम, मंडलों में हाउस कीपिंग, कंप्यूटर ऑपरेटर, डाटा एंट्री ऑपरेटर, चौकीदार, ड्रायवर, निर्माण, सुरक्षाकर्मी आदि के रूप में ठेका एवं आउटसोर्स कर्मचारियों को नियोजित किया जाता है। सरकार के पास आउटसोर्स कर्मचारियों का हर तरह से शोषण किए जाने की शिकायतें सामने आ रही थीं। उनसे ड्यूटी के निर्धारित घंटों से ज्यादा काम कराया जाता है, उन्हें मनमर्जी से मानदेय दिया जाता है, कभी भी नौकरी से निकाल दिया जाता है। न तो उनका पीएफ काटा जाता है और न ही उन्हें ओवरटाइम व साप्ताहिक अवकाश दिया जाता है।
शिकायतों के परीक्षण में यह बात सामने आई कि, विभिन्न विभागों में कार्यरत ठेका व आउटसोर्स कर्मचारियों को विभिन्न श्रम कानूनों का लाभ नहीं मिल रहा है। सरकार ने आउटसोर्स कर्मचारियों को श्रम कानूनों के प्रावधानों का लाभ देने का फैसला करते हुए सभी विभागों को इस संबंध में आदेश जारी किए हैं। इसमें कहा गया है कि जिन ठेकेदारों या एजेंसियों के माध्यम से आउटसोर्स कर्मचारी नियुक्त किए जाते हैं, उस विभाग द्वारा उन ठेकेदारों का पंजीयन/लायसेंस ठेका श्रम (प्रतिषेध एवं विनियमन) अधिनियम, 1970 के अतर्गत प्राप्त नहीं किया जाता है।
अब सरकार ने तय किया है कि 20 या उससे अधिक ठेका श्रमिकों के नियोजन पर संबंधित विभाग, उपक्रम, निगम व मंडल को श्रम अधिनियम में प्रमुख नियोजक के रूप में पंजीयन एवं ठेकेदार को श्रम विभाग से लाइसेंस लेना जरूरी होगा। ठेका एवं आउटसोर्स पर कार्यरत कर्मचारियों को ठेका श्रम (प्रतिषेध एवं विनियमन) अधिनियम-1970, भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार (नियोजन का विनियमन एवं सेवा शर्तें ) अधिनियम-1936 एवं बोनस भुगतान अधिनियम- 1965 के प्रावधानों का लाभ अनिवार्य रूप से मिलना सुनिश्चित किया जाए। साथ ही उन्हें न्यूनतम वेतन अधिनियम, 1948 के अनुसार न्यूनतम मानदेय देना दिया जाए।
आउटसोर्स कर्मचारियों को यह फायदा होगा:
हर महीना समय पर मानदेय का भुगतान किया जाएगा।
8 घंटे से ज्यादा काम कराने पर ओवर टाइम देना होगा।
बोनस राशि, ईपीएफ, ईएसआईसी की राशि का भुगतान किया जाएगा।
साप्ताहिक अवकाश भी दिया जाएगा।
छुट्टी के दिन ड्यूटी कराने पर दोगुने मानदेय का भुगतान किया जाएगा।
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